सोमवार, 14 जुलाई 2014

पगडंडियां-


आरसी चौहान की कविता


पगडंडिया कभी भी
पंचायत नहीं की
चौराहों के विरूद्ध
न ही धरना प्रर्दश ही किया
विधान सभा या
संसद भवन के आगे
जब भी चले बुलडोजर
केवल पगडंडियां
ही नहीं टूटी
टूटे हैं पहाड़
रकी हैं चट्टानें
और टूटे हैं किसी के
हजारों हजार सपने
जब तक खड़े हैं पहाड़
जीवित रहेंगी पगडंडियां
पगडंडियों का न होना
पहाड़ों का खत्म होना है ।

सोमवार, 30 जून 2014

बंघुआ मजदूर


आरसी चौहान की कविता


बंदूकों की नाल
बारूदों का बिछाया गया जाल
भय
दहशत
पैदाकर
पकड़ा दिया जाता
फावड़ा ,कुदाल
खेतों की कटाई -मंडाई
व बोझ ढोने के लिए
क्योकि -
ये बंघुआ मजदूर हैं
संविधान के नियम -अधिनियम
धारा- उपधारा के तहत
दे दिया जाता
आरक्षण
हथौड़ा व गोइता थमाकर   
बैठा दिया जाता
लोहे के गर्म के तावे
और आग उगलती चट्टानों पर
मांसपेशियां सिकुड़ जाती
दरख्तों के बलकलों सी
छोड़ दिये जाते
गण्डवानालैड की चट्टानों में
बनने के लिए कोयला
क्योंकि ये काले -कलूटे लोग हैं
जबर्दस्ती
बेरहमी से
ढकेल दिया जाता
थाली-प्लेट व गिलास थमाकर
बेरोजगारी के अखाड़े में
जूठे भात व रोटी के टुकड़ों पर
गुजर-बसर करने के लिए
जब सड़ जाती
इनकी अंतड़ियां
फिर
बंद हो जाते
दरवाजे

इन होटलों -ढाबों व रेस्तराओं के
दूसरे बाल मजदूरों पर
कहर बरसाने के लिए
खुले रहते     
नके दरवाजे
क्योंकि-
ये अशिक्षित व असभ्य हैं।

शुक्रवार, 23 मई 2014

उसकी आंखों में


















उसकी आंखों में

सूर्य
सुबह शाम का
चश्मा लगाए
जब देखता है पृथ्वी को
उतर आती है
उसकी आंखों में
प्यार की लाल चुनरी
पृथ्वी की छाती पर लहराते हुए।


संपर्क - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीयइण्टरकालेजगौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121                                                                                                                   मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com
 

गुरुवार, 24 अप्रैल 2014

आरसी चौहान की कविता : जूता




 









आरसी चौहान


जूता




लिखा जाएगा जब भी 

जूता का इतिहास

सम्भवतः,उसमें शामिल होगा

और कीचड़ में सना पांव 
  
बता पाना मुश्किल होगा           
                                                    
हो सकता किसी ने 

रखा हो कीचड़ में पांव 

और कीचड़ सूख कर 

 बन गया हो जूता सा
   
 फिर देखा हो किसी ने कि
  
 बनाया जा सकता है 

 पांव ढकने का एक पात्र 

 फिर बन पड़ा हो जूता

और तबसे उसकी मांग 


सामाजिक हलकों से लेकर

राजनैतिक सूबे तक में
  
 बनी हुई है लगातार


 घर के चौखट से लेकर 


युद्ध के मैदान तक

सुनी जा सकती है
  
 उसकी चौकस आवाज


 फिर तो उसके ऊपर गढे़ गये मुहावरे

लिखी गयी ढेर सारी कहानियां

और इब्नबतूता पहन के जूता
  
 भी कम चर्चा में नहीं रही कविता 

 कितने देशों की यात्राओं में
  
 शामिल रहा है ये 

 शुभ काम से लेकर

अशुभ कार्यो तक में 

 विगुल बजाता उठ खड़ा होता रहा है यह

और अब ये कि

वर्षों से पैरों तले दबी पीड़ा

दर्ज कराते ये

जनता के तने हुए हाथों में 

तानाशाहों के थोबड़ों पर
 

 अपनी भाषा,बोली और लिपि में 


  भन्नाते हुए......









संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल
 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121 
 मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com

गुरुवार, 20 मार्च 2014

बहुत कुछ :आरसी चौहान




 








बहुत कुछ............... 


सुना है
हवा को  
दमें की बीमारी लग गयी है
चारपायी पर पड़ी
कराह रही है 
औद्योगिक अस्पताल में
कुछ दिन पहले
कई तारे एड्स से मारे गये
अपना सूर्य भी
उसकी परिधि से  बाहर नहीं है
अपने चांद को कैंसर हो गया है
उसकी मौत के 
गिने चुने दिन ही बचे है   
आकाश को 
कभी-कभी पागलपन का  
दौरा पड़ने लगा है
पहाड़ों को लकवा मार गया है
खड़े होने के प्रयास में
वह ढह-ढिमला रहे हैं
यदा- कदा 
नदि़यां रक्तताल्पता की
गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं
इन नदियों के बच्चे
सूखाग्रस्त इलाकों में 
दम तोड़ रहे हैं
पेड़ की टांगो  पर
आदमी की नाचती कुल्हाड़ियां
बयान कर रही हैं 
बहुत कुछ।



संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल) 
 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121 
 मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com
 

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

आरसी चौहान की कविता :ढाई अक्षर




 










ढाई अक्षर

तुम्हारी हंसी के ग्लोब पर  
लिपटी नशीली हवा से  
जान जाता हूं  
कि तुम हो  तो   
समझ जाता हूं  
कि मैं भी   
अभी जीवित हूं  
ढाई अक्षर के खोल में।




संपर्क-        आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)

                 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल

                 उत्तराखण्ड 249121
                 मेाबा0-8858229760
                 ईमेल-chauhanarsi123@gmail.com
 

शनिवार, 25 जनवरी 2014

आरसी चौहान की कविता :आदमी


















पहला  

जुलूस में मारा गया 
  
वह आदमी नहीं था 

दूसरा  

आमरण अनशन में मारा गया 
   
वह भी आदमी नहीं था 

तीसरा भाषण देते सफेदपोश 

मारा गया  
   
वह आदमी था।

संपर्क-   आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
                 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल
                 उत्तराखण्ड 249121
                 मेाबा0-8858229760
                 ईमेल-chauhanarsi123@gmail.com