बंधुआ मुक्त हुआ कोई
किसान के जहन से
अब दफन हो चुकी है
अतीत की कब्र में
दो बैलों की जोड़ी
वह भोर ही उठता है
नांद में सानी-पानी की जगह
अपने ट्रैक्टर में नाप कर डालता है
तेल
धुल-पोंछ कर दिखाता है अगरबत्ती
ठोक-ठठाकर देखता है टायरों में
अपने बैलों के खुर
हैंडिल में सींग
व उसके हेडलाइट में
आँख गडा़कर झांकता
बहुत देर तक
जो धीरे-धीरे पूरे बैल की आकृति मे
बदल रहा है
समय-
खेत जोतते ट्रैक्टर के पीछे-पीछे
दौड़ रहा है
कठोर से कठोर परतें टूट रही हैं
सोंधी महक उठी है मिट्टी में
जैसे कहीं
एक बधुंआ मुक्त
हुआ हो कोई।
किसान के जहन से
अब दफन हो चुकी है
अतीत की कब्र में
दो बैलों की जोड़ी
वह भोर ही उठता है
नांद में सानी-पानी की जगह
अपने ट्रैक्टर में नाप कर डालता है
तेल
धुल-पोंछ कर दिखाता है अगरबत्ती
ठोक-ठठाकर देखता है टायरों में
अपने बैलों के खुर
हैंडिल में सींग
व उसके हेडलाइट में
आँख गडा़कर झांकता
बहुत देर तक
जो धीरे-धीरे पूरे बैल की आकृति मे
बदल रहा है
समय-
खेत जोतते ट्रैक्टर के पीछे-पीछे
दौड़ रहा है
कठोर से कठोर परतें टूट रही हैं
सोंधी महक उठी है मिट्टी में
जैसे कहीं
एक बधुंआ मुक्त
हुआ हो कोई।
संपर्क - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121 मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com