मंगलवार, 30 जून 2015

पिता





 















ट्रेन का इंतजार करते पिता

रेलवे प्लेटफार्म पर

हजारों की भीड़ में

कितना अकेले होते

जब होती ट्रेन लेट

वे चाहते तो

बस से भी आ सकते

चार गुना किराया चुकाकर

बीस पच्चीस किलो मीटर

की दूरी ही क्या है

लेकिन

वो ऐसा

कितनी बार करते

घास-फूस की तरह बढ़ती

अपनी जवान बेटियों को देखकर।


संपर्क   -  
आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख
 टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121  
 मोबा0-08858229760
 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com


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