(हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएं पढ़ते हुए)
एक विचार
जिसको फेंका गया था
टिटिराकर बड़े शिद्दत से निर्जन में
उगा है पहाड़ की तरह
जिसके झरने में अमृत की तरह
झरती हैं कविताएं
शब्द चिड़ियों की तरह
करते हैं कलरव
हिरनों की तरह भरते हैं कुलांचे
भंवरों की तरह गुनगुनाते हैं
इनका गुनगुनाना
कब कविता में ढल गया और
आदमी कब विचार में
बदल गया
यह विचार आज
सूरज-सा दमक रहा है।
संपर्क - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com
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