आरसी चौहान
उसे नहीं
मालूम था
सपनों और हकीकत की दुनिया में
फर्क
जब उसे
फूलों की सेज से
उतारा गया
था बेरहमी
से
घसीटते हुए
वह समझती
उस यातना
का नया
रूप
मुंह खुल
चुका था छाता सा
और उसकी
सांसे
टंग चुकी
थी खूंटी
पर
यातना के तहत
जिसके सारे
दस्तावेज जल चुके थे
और वह राख में
खोज रही
थी
अपनी बची
हुई हड्डियां
उस हवेली
में बेखबर
यातना की शिकार
पहली नहीं
थी वह ।
संपर्क - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ,07579173130
ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com
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