तुमने पृथ्वी को गाली दी
उसने कुछ नहीं कहा
तुमने आसमान पर उछाला कीचड़
उसने भी तुम्हें कुछ नहीं कहा
तुमने घोले हवाओं में जहर
उसने भी तुम्हें कुछ नहीं कहा
तुमने लतियाया सूरज और चांद को
इन्होंने ने भी कुछ नहीं कहा
तुमने उतार लिए नदियों के सारे कपड़े
इन्होंने ने भी कुछ नहीं कहा
इनके कुछ नहीं कहने
और इनकी खामोशियों के बीच
किसी तूफान के आने की
पूर्व सूचना तो नहीं ?
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