मंगलवार, 24 मार्च 2015

उनकी नजर में : आरसी चौहान




                             आरसी चौहान 

उनकी नजर में

हम बनाते हैं महल 
 
वो करते हैं आराम 
 
हम बनाते हैं कानून  

वो जारी करते हैं फरमान
 
हम उगाते हैं फसल
 
वो काटते हैं सोना
 
हम बनाते हैं जहाज
 
वो उड़ाते हैं जहाज
 
हम बनाते हैं कश्तियां
 
वो तैराते हैं नाव
  
हम उगाते हैं मूसली
 
वो बनाते हैं वियाग्रा
  
और किसी सेलिब्रेटी के बिकनी पर
   
करते विर्यपात 

जैसे उनकी नजर में 
 
सारी दुनिया नामर्द हो गयी है

संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121  
 मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com

शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

पहली नहीं थी वह -आरसी चौहान









                               आरसी चौहान

उसे नहीं मालूम था
सपनों और हकीकत की दुनिया में फर्क
जब उसे फूलों की सेज से 
उतारा गया था बेरहमी से
घसीटते हुए
वह समझती
उस यातना का नया रूप
मुंह खुल चुका था छाता सा
और उसकी सांसे
टंग चुकी थी खूंटी पर
यातना के तहत
जिसके सारे दस्तावेज जल चुके थे
और वह राख में
खोज रही थी
अपनी बची हुई हड्डियां
उस हवेली में बेखबर 
यातना की शिकार
पहली नहीं थी वह ।  

संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121  
 मोबा0-08858229760 ,07579173130
 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com


गुरुवार, 22 जनवरी 2015

एक विचार : आरसी चौहान





 











(हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएं पढ़ते हुए)

एक विचार

जिसको फेंका गया था

टिटिराकर बड़े शिद्दत से निर्जन में

उगा है पहाड़ की तरह

जिसके झरने में अमृत की तरह

झरती हैं कविताएं

शब्द चिड़ियों की तरह

करते हैं कलरव

हिरनों की तरह भरते हैं कुलांचे

भंवरों की तरह गुनगुनाते हैं

इनका गुनगुनाना

कब कविता में ढल गया और

आदमी कब विचार में

बदल गया

यह विचार आज

सूरज-सा दमक रहा है।




संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com