रविवार, 31 जनवरी 2016

अरमान-आरसी चौहान

















अरमान

आंख मुलमुलाते बदसूरत बच्चों के
खिलखिलाने से
जान सकते हैं
उनकी मांओं की
सारी अनिवर्चनीय घटनाएं
जो पीठ पर बंधी
गठरी में
पड़े रहते हैं
परिचय पत्र की तरह
पहने रहतीं
पेवन सटी कनातें
भय
दहशत
पैदा कर
जबर्दस्ती
रख दिया जाता
सिर पर गेरूड़ी-सा मुकुट
एक संस्कार के तहत
जिनका नहीं होता जिक्र
इतिहास के पन्नों में
किन्हीं रानियों या राजकुमारियों
की तरह
सीख लेती सजाना
कौड़ी के लिए
ईंटों को
गेरूड़ी पर
परतदार चट्टानों की तरह
तपती रहतीं
चीलचीलाती धूप में
गर्म तावे पर
तले हुए पापड़ की तरह
जो
सूरज सरकने के साथ ही
चली जातीं अपने गन्तव्य
रात की गोंद में
सोखते रहते
इनके प्रतिरोधी झंवाए भासुर चेहरे
पर्त दर पर्त गंदुनुमें स्याह रोशनाई को
बिखर जाते
इनके अरमान
उपल चिंदीयों और
झंझावात में आए
तूफानी झोंको से
उजड़े हुए छप्परों व
भिहिलाए दरख्तों की तरह।

                                        प्रकाशन-युनाईटेड भारत


संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com