शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
बहुत दिनों से : आरसी चौहान
बहुत दिनों से
बहुत दिनों से लिखना
चाहता हूं
एक कविता
स्कूल जाते बच्चों
पर
जो दुनिया को फूल की
तरह
खिलाना चाहते हैं
और इकट्ठा हों रहे
हैं
तमाम तमाम स्कूलों
में
हर सुबह
हरसिंगार के फूलों
की तरह
स्कूलों के फेफड़ों
में
भर रहें हैं ताजी हवा
से महकते
और स्कूल हो रहे स्पंदित
एक और कविता लिखना
चाहता हूं
किसानों के लिए
जिनके हल के फाल तोड़
रहे सन्नाटा
कठोर चट्टानों के
फड़फड़ाते पन्नों पर
दर्ज कर रहे बीजों
के एक एक अक्षर
ओर पृथ्वी को रंग देना
चाहते हैं
हरियाई फसलों से
एक कविता और लिखना
चाहता हूं
सरहद पर जूझते जवानों
के लिए
जिनका होना
हमारे देश का सुरक्षित
होना है
पर जो बच्चे
अभी स्कूलों से लौटे
नहीं हैं
जिन किसानों का कलेवा
उनके हलक के नीचे उतरा
नहीं है
घर वापसी के लाख वादों
के बावजूद
जो जवान अब कभी लौट
नहीं सकते
उन पर कविताएं न लिख
पाने के लिए
क्षमा चाहता हूं देशवासियों।
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
रविवार, 29 अक्टूबर 2017
हमारा परिवार एक घड़ी हो गया है : आरसी चौहान
हमारा परिवार एक घड़ी हो गया है
मां घंटे की छोटी सुई
है घड़ी की
करते हुए काम बढ़ती
है धीरे धीरे
पिता मिनट की
जो घंटे और सेकेंड
के बीच
बिठाते हुए तारतम्य
बढते हैं मध्यम मध्यम
और बेटा सेकेंड की
सुई की तरह
अकुताया
हांक रहा है दोनों
को
करते हुए टिक टिक
जैसे हमारा परिवार
एक घड़ी हो गया है।
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
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शनिवार, 30 सितंबर 2017
त्रासदी : आरसी चौहान
त्रासदी
भरे पूरे घर में
बेटे द्वारा अतिथि
को
सभी से परिचय करवाना
और हारबेरियम की फाइल
में
सूखे पत्तियों सा चिपके
कोने में पड़े मां बाप
का परिचय
अतिथि से न करवाना
बहुत देर तक
कचोटता रहा मां बाप
को
वैसे यह हमारे समय
की
सबसे बड़ी त्रासदी तो
नहीं
बनने जा रही।
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
रविवार, 27 अगस्त 2017
जो कभी हुआ ही नहीं : आरसी चौहान
एक सपना
जिसे
देखा ही नहीं कभी मैंने
अधजगी
आंखों से
सुनहली
रातों में
डरता
रहा बहुत दिनों तक
उसके
नुकीले नाखूनों से
एक अंधड़
तूफान
जिसमें
उड़ता रहा
जिंदगी
भर धुल धक्क्ड़ की माफिक
जो हकीकत
में कभी आया ही नहीं
एक फूल
हमेशा
करता रहा परेशान
अपनी
ताजगी और महक से
जो खिला
ही नहीं मेरे जीवन में
कभी
संजीदगी से
एक नदी
जो मेरे
भीतर
बलखाती
हुई कभी बही नहीं
आज आमदा
है तोड़ने को
सारे
सब्रो का तटबंध
और अब
एक प्रेम
जो कभी
हुआ ही नहीं किसी से
आज बांध
की तरह खड़ा है
डूब
कर बह जाने तक
मेरे
साथ-साथ।
संपर्क- आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मेाबा0-8858229760ईमेल-puravaipatrika@gmail.com
सोमवार, 31 जुलाई 2017
बचपन में : आरसी चौहान
बचपन में
बचपन में एक दौर ऐसा
भी था
कि निकल पड़ते साइकिल
से
हवा से तेज उड़ियाते
छूने लटका हुआ आकाश
जहां धरती को चूम रहा
होता
वह बे रोक टोक
बादलों को छूने की
करते कोशिश
और उनकी खरगोश सी पीठ
पर
बैठकर उड़ने की लालसा
रह जाती धरी की धरी
थक हार लौट आते अपने
अपने घर
इस आशा में कि
कल तो छू कर ही लौटेंगे
क्षितिज
बादलों की पीठ पर बैठ
कर ही छोड़ेंगे दम
आज इतने सालों बाद
देखता हूं अपने बच्चों
को
पानी में तैराते हुए
कागजी नाव
और सोचता हूं
कि दुनिया घूमते हुए
कितना आगे निकल गई
है
जबकि दुनिया है कि
घूम रही है बचपन के
पीछे पीछे ।
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
शुक्रवार, 30 जून 2017
ये मत कहना : आरसी चौहान
ये मत कहना
वे आते हैं आंधी की
तरह
धूल उड़ाते हुए
जैसे धरती उनके लिए
फुटबाल हो कोई
झुग्गी झोपड़ियों को
चबाती हुई उनकी मशीनें
मानों खुबसूरती का
मापक गढ़ रही हों
उन्हें नहीं मालूम
है
झुग्गी झोपड़ियों में
लगी
सरपत,सरकंडे व शहतीरें
तन जायेंगी तीर व तलवार
की तरह
खुरपी , हंसियां पिघल कर
पाइपगनों में बदल जाएगी
तब ये मत कहना कि
धरती खुबसूरत नहीं
है।
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
शनिवार, 27 मई 2017
खामोशियों के बीच : आरसी चौहान
तुमने पृथ्वी को गाली दी
उसने कुछ नहीं कहा
तुमने आसमान पर उछाला कीचड़
उसने भी तुम्हें कुछ नहीं कहा
तुमने घोले हवाओं में जहर
उसने भी तुम्हें कुछ नहीं कहा
तुमने लतियाया सूरज और चांद को
इन्होंने ने भी कुछ नहीं कहा
तुमने उतार लिए नदियों के सारे कपड़े
इन्होंने ने भी कुछ नहीं कहा
इनके कुछ नहीं कहने
और इनकी खामोशियों के बीच
किसी तूफान के आने की
पूर्व सूचना तो नहीं ?
रविवार, 30 अप्रैल 2017
शुक्रवार, 31 मार्च 2017
मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017
धरती के अकुलाये हराई में : आरसी चौहान
धरती से संवाद करते हुए
वह आंखों से नापता है
आसमान की दूरी
सीपियों के मुंह सा खुले
धरती के अकुलाये हराई में
स्वाती बूंदों सा
डालता है एक एक बीज
धरती को और चाकलेटी बनाते हुए
महसूसता है बीजों के अंखुआने की
कुलबुलाहट
अपने पसीने की बूंदों का
बादलों में बदलते हुए
देखता है खुशियों का इंद्रधनुष
जहां भूख ने आत्म समर्पण कर लिया है
और एक झण्डा
लहराने लगा है श्रम का।
संपर्क- आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल
उत्तराखण्ड 249121
मेाबा0-8858229760
ईमेल-puravaipatrika@gmail.com
मंगलवार, 31 जनवरी 2017
उसने कहा
उसने कहा-
तुम भविष्य के हथियार हो
बात तब समझ में आयी
जब
मिसाइल की तरह
जल उठा मैं
तुम भविष्य के हथियार हो
बात तब समझ में आयी
जब
मिसाइल की तरह
जल उठा मैं
संपर्क- आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल
उत्तराखण्ड 249121
मेाबा0-8858229760
ईमेल-chauhanarsi123@gmail.com
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