ट्रेन का इंतजार करते पिता
रेलवे प्लेटफार्म पर
हजारों की भीड़ में
कितना अकेले होते
जब होती ट्रेन लेट
वे चाहते तो
बस से भी आ सकते
चार गुना किराया चुकाकर
बीस पच्चीस किलो मीटर
की दूरी ही क्या है
लेकिन
वो ऐसा
कितनी बार करते
घास-फूस की तरह बढ़ती
अपनी जवान बेटियों को देखकर।
संपर्क -
आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख,
टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
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