शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

कोई बच्चा स्कूल जा रहा है : आरसी चौहान



कोई बच्चा स्कूल जा रहा है

सरपट दौड़ती सड़क के किनारे
उंघते फुटपाथ पर
सो रहा एक बच्चा
और उसकी मां
बुन रही अपनी सांसों का गर्म स्वेटर
ताकि बड़े होते बच्चे को
जाड़े में पहनाकर भेज सके स्कूल

बच्चा पहचानने लगा है
रंगों का तिलिस्म
बतियाने लगा है अपने सुख दुख की बातें

वह जानने लगा है
पेड़ पर फुदकती चिड़ियों के बारे में
उनके सुन्दर सुन्दर घोसलों के बारे में

बच्चा पूछता है मां से
अपने घोसले के बारे में
अट्टालिकाओं को निहारते हुए
मां दिखाती है
बड़ा सा नीला आसमान

बच्चा कहता है हाथ फैलाकर
इत्ता बड़ा घर
? ? ?

मां उसके आंखों में काजल आंज रही है
माथे पर टीका पार रही है
उसकी पीढी में
पहली बार कोई बच्चा
स्कूल जा रहा है।

संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- puravaipatrika@gmail.com

बुधवार, 30 नवंबर 2016

एक बार फिर : आरसी चौहान



एक बार फिर

सब जन मरेंगे
आपकी स्मृतियां,यश,गुण,प्रतिष्ठा
सब दफन हो जाएगा

जी चुकी पृथ्वी अपनी उम्र का
अधिकांश हिस्सा
सूर्य पार कर चुका
अपनी उम्र का युवावस्था
मरेगा सूर्य
जब लाल दानव में बदलते हुए
आगोश में समा जाएंगे
उसके पार्थिव पुत्र
बुद्ध,शुक्र और पृथ्वी

जलता हुआ सूर्य
सबको एक चम्मच राख में बदल देगा
उस दिन तुम्हारे लिखे हुए
तमाम मोटे मोटे ग्रंथ
तुम्हारी आकांक्षाओं
और महत्वाकांक्षाओं का ज़खीरा
सिमट जायेगा एक बिंदु में


बिंदु के विस्फोट होने
और ब्रह्माण्ड के बनने तक
पृथ्वी अकुलायी हुई निकलेगी
सृष्टि का द्वार खोलते हुए एक बार फिर।

रविवार, 23 अक्टूबर 2016

धर्म : आरसी चौहान


















धर्म

धर्म बिना गैस का चूल्हा है
जिस पर सेंकी जाती हैं
अफवाहों की रोटियां
बनाए जाते हैं खूंखार पकवान
और आदमी
मनाता है
इंसानियत खत्म होने का जश्न
जैसे जीत लिया हो उसने पूरी धरती।

संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com

शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

खूबसूरत धरती के बारे में : आरसी चौहान


खूबसूरत धरती के बारे में

वे लिख रहे हैं सदियों से
और नहीं लिख पा रहे हैं
आदमी को आदमी

वे लिखना चाहते हैं
नदियों को नदियां
और नदियां हो जा रही हैं रेत

वे पहाड़ों के बारे में भी
चाहते हैं लिखना
उनमें उगे जंगलों
और झाड़ियों के बारे में भी
कि
देखते ही देखते बदल जा रहे हैं
आग के गोलों में पहाड़

पृथ्वी को लिखना चाहते हैं पृथ्वी
कि पृथ्वी घूमते हुए
रणभूमि में बदल जा रही है

बच्चे जिनपर अभी तक लिखी गयी हैं
बहुत सारी कविताएं
उन्हें फूलों की तरह मुस्कराते
हिरन की तरह उछलते कूदते
खरगोश के बालों की तरह मुलायम
बताया गया है

यहां तक कि
ये बच्चे तो
दो देशों को बांटने वाली सरहदों को भी 
नहीं जानते
बंदूक , बारुद और बमों से भी अनभिज्ञ
ये नहीं जानते
युद्ध में मारे गये अपने पिताओं
और उनके हन्ताओं को
छल कपट और ईर्ष्या द्वेष का गणित
तो बिल्कुल नहीं समझते
ये तितलियों की तरह उड़ना चाहते हैं
सपनों में परियों से बतियाना चाहते हैं         


इनकी प्रार्थनाओं में
आदमी को देवता
नदियों को बलखाती हुई
पहाड़ों को आसमान चूमता हुआ
और पृथ्वी को लिखा है जननी
हम इनके भूगोल को कब समझ पायेंगे
और लिख पायेंगे एकदिन एक
खूबसूरत धरती के बारे में ?

मंगलवार, 30 अगस्त 2016

समय : आरसी चौहान



समय

जब समय ठीक नहीं है तो
भूख में
सामने रखी भूनी मछली भी
पानी में कूद जाती है।
 



 संपर्क  - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
        जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
        मोबाइल -7054183354
        ईमेल- puravaipatrika@gmail.com

बुधवार, 27 जुलाई 2016

पीसीओ वाले अंकल जी : आरसी चौहान





मजदूर क्या होते हैं ?
उनकी विवाई कहां फटती है ?
उनसे अधिक कोई
क्या बता सकता है ?

कभी मजदूरों में
रीढ़ की हड्डी रहे वे
जब निकाले गये काम से
टूटे हुए बाल की तरह
उलझ कर उलझते चले गये
राजनीति के कंघे में

नहीं आया काम
मजदूर संगठनों का मरहम
भागम दौड़ की जद्दोजहद में
हार पाछकर लौट आये घर
परिवार में छा गया घुप्प अन्हार
और गांव में पसर गयी
अन्हार की छाया

हार नहीं मानी उन्होंने
आशा के सहारे
हिम्मत के चबूतरे पर
खोल ली एक गुमटी में
पी सी ओ

गांव में दस मुंह दस बातें
सबकी सुनकर
बेखबर रहे वे
समय की पीठ पर सवार
चल निकला उनका  पी सी ओ
सुबह से शाम तक
हाय, हैलो में डूबे रहते वे


फिर तो
धीरे धीरे चेहरा पढ़ने का अनुभव
हासिल कर लिया उन्होंने
किसी चेहरे की मुस्कान
और बुझे चेहरे की थकान से
निकाल लेते कई कई अर्थ
मसलन जवान होती लड़की की
मुस्कान की लम्बाई से
अनुमान लगाते उसके रहस्यमयी प्रेम की
जिसकी पंखुड़ियां अभी खुली नहीं थी
ठहाके से
उसके बेशर्मीपन की
और रोने पर देखते
उसके भावनाओं के समन्दर में
डूबता उतराता सपना

सांय सांय बतियाने पर लगाते
किसी अनहोनी घटना का अनुमान
बात करते- करते फफक कर रोने पर
लगाते अंदाज उसके साथ हुई किसी
जोर जबरदस्ती की

और अब जब पूरे अरियात करियात में
ओझल होते पी सी ओ बूथों के बीच
किसी अनोखी घटना से
कम नहीं था
उनका पी सी ओ

कि एक दिन लोगों का हुजूम
बढ़ रहा था उनकी शव यात्रा में
विदा करने उन्हें सधन्यवाद

और अब ये कि
यहां कोई किसी को नहीं बुलाता
दो दिलों को जोड़ने वाले
आने पर कोई फोन
न उठाना चाहता है कोई जहमत
मोबाइल पर बतियाते हुए


संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- puravaipatrika@gmail.com
 

शुक्रवार, 17 जून 2016

अकुलाया हाथ है पृथ्वी का : आरसी चौहान





अकुलाया हाथ है पृथ्वी का

उसके कंधे पर
अकुलाया हाथ है पृथ्वी का

एक अनाम सी नदी
बहती है सपने में
आंखों में लहलहाती है
खुशियों की फसल
मन हिरन की तरह भरता है कुलांचे

बाजार बाघ की तरह
बैठा है फिराक में
बहेलिया
फैला रखा है विज्ञापनों का जाल

और एक भूखे कुनबे का झुण्ड
टूट पड़ा है
उनके चमकिले शब्दों के दानों पर

पृथ्वी सहला रही है
अपने से भी भारी
उसके धैर्य को
धैर्य का नाम है किसान।

संपर्क   - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121
मोबा0-08858229760 ईमेल- puravaipatrika@gmail.com