बचपन में
बचपन में एक दौर ऐसा
भी था
कि निकल पड़ते साइकिल
से
हवा से तेज उड़ियाते
छूने लटका हुआ आकाश
जहां धरती को चूम रहा
होता
वह बे रोक टोक
बादलों को छूने की
करते कोशिश
और उनकी खरगोश सी पीठ
पर
बैठकर उड़ने की लालसा
रह जाती धरी की धरी
थक हार लौट आते अपने
अपने घर
इस आशा में कि
कल तो छू कर ही लौटेंगे
क्षितिज
बादलों की पीठ पर बैठ
कर ही छोड़ेंगे दम
आज इतने सालों बाद
देखता हूं अपने बच्चों
को
पानी में तैराते हुए
कागजी नाव
और सोचता हूं
कि दुनिया घूमते हुए
कितना आगे निकल गई
है
जबकि दुनिया है कि
घूम रही है बचपन के
पीछे पीछे ।
संपर्क - आरसी चौहान (जिला समन्वयक - सामु0 सहभागिता )
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़, उत्तर प्रदेश 276001
मोबाइल -7054183354
ईमेल- puravaipatrika@gmail.com