शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

पेटेंट:आरसी चौहान




          आरसी चौहान
पहले यवन, पह्लव, शक और कुषाण आये
और अपने-अपने तरीके से
भारत को पेटेंट कराना चाहे
फिर पुर्तगाली, डच ,फ्रांसीसी
और ब्रिटिश आये
पेटेंट का नया फार्मूला अपना
हमें कई खण्डों में बांटकर
कूटनीतिक चाल से
हथियाना चाहे
तब हम अर्द्धखामोश थे
हमारी चेतना जगी क्या
कि हमारी  जड़ी- बूटियों को
पेटेंट कराया
बासमती चावल, हल्दी ,नीम व
वेद- पुराण के नामों को
पेटेंट कराया
अब वो दिन दूर नहीं
जब वे मेरी भाषा- संस्कृित और
अस्मिता को पेटेंट कराएंगे
और घुसते चले आएंगे
हंसते आंगन में
प्रायोजक की तरह
छुएंगे अपने -अपने तरीके से
बहू -बेटियों के अनछुए अंग
और जब तक हम न्यायालय में
याचिका दाखिल करेंगे
तब तक घर की बहुएं लूट चुकी होंगी
और उनकी अस्मिता
बालू की भित्ति की तरह ध्वस्त।
संपर्क - आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल 
 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल उत्तराखण्ड 249121   मोबा0-08858229760 ईमेल- chauhanarsi123@gmail.com

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