बुधवार, 25 अप्रैल 2012

आरसी चौहान की कविता-वजूद




वजूद
कितना ही   
खारिज करो  
साहित्य विशेषज्ञों 
लेकिन
याद करेंगे  लोग मुझे 
अरावली पहाड़- सा 
घिसा हुआ।

संपर्क-   आरसी चौहान (प्रवक्ता-भूगोल)
                 राजकीय इण्टर कालेज गौमुख, टिहरी गढ़वाल
                 उत्तराखण्ड249121
                 मेाबा0-09452228335
                 ईमेल-chauhanarsi123@gmail.com

1 टिप्पणी:

  1. वाह सभी कविताएँ शानदर ..तुम्हारी हंसी के ग्लोब पर
    लिपटी नशीली हवा से
    जान जाता हूं
    कि तुम हो तो
    समझ जाता हूं
    कि मैं भी
    अभी जीवित हूं
    ढाई अक्षर के खोल में।

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